जीविका दीदियों को टीबी के लक्षण और बचाव की दी गई जानकारी

 
क्षेत्र में जाकर जीविका दीदी लोगों को टीबी के प्रति करेंगी जागरूक
कहलगांव प्रखंड की जानीडीह पंचायत में दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू
 
भागलपुर-
 
स्वास्थ्य विभाग के सहयोग कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने शुक्रवार को कहलगांव प्रखंड की जानीडीह पंचायत के पंचायत भवन में जीविका दीदियों की दो दिवसीय पर्सपेक्टिव बिल्डिंग ट्रेनिंग की शुरुआत की। ट्रेनिंग शनिवार को भी चलेगी। कार्यक्रम का उद्घाटन केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट लीड आरती झा के द्वारा किया गया। इस दौरान आरती झा ने उपस्थित जीविका दीदियों और प्रशिक्षकगण का मनोबल बढ़ाया और टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में हरसंभव सहयोग टीबी विभाग और केएचपीटी के द्वारा करने का आश्वासन दिया।
आरती झा ने टीबी के लक्षणों, जैसे दो सप्ताह से अधिक की खांसी, सीने में दर्द, पसीने के साथ रात का बुखार, वजन में कमी, गिल्टी, जोड़ों में दर्द आदि की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये लक्षण दिखने पर कहलगांव सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करा लेनी चाहिए। टीबी के मरीजों को नियमित रूप से छह माह तक दवा खाने की जरूरत पर जोर दिया। निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपये मिलने के बारे में भी जानकारी दी। प्रशिक्षण में जानीपुर पंचायत की कुल 8 वीओ की कुल 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें जीविका स्वास्थ्य की सीएनआरपी और एमआरपी ने भी शिरकत  की। 
जीविका दीदियों को मनोवैज्ञाविक रूप से किया गया तैयारः ट्रेनिंग की शुरुआत उद्देश्य और अपेक्षा सेटिंग से की गई। प्रतिभागियों की प्रशिक्षण से क्या अपेक्षाएं हैं और प्रतिभागी प्रशिक्षण में क्या देने वाले हैं, इसके बारे में बताया गया। इस कार्यक्रम में 14 सत्रों के माध्यम से जीविका दीदियों को टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया। उनको प्रशिक्षण दिया गया कि हम सभी समान और महत्वपूर्ण हैं। हम सब में कई भूमिकाएं निभाने की क्षमता हैं। जानकारी दूसरों के साथ साझा करने से महत्व बढ़ता है। हमारे अच्छे काम का कभी न कभी हमको फल मिलता है। स्वास्थ्य  हमारा अधिकार है। इसके साथ उन्होंने यह भी सिखाया कि टीबी की मूल बातें और जानकारियां क्या हैं। टीबी के लक्षण के साथ-साथ उपचार, जांच के बारे में भी बताया गया। साथ ही यह कहां-कहां उपलब्ध है, इसकी भी जानकारी दी गई।
कहानी और खेल के माध्यम से समुदाय के महत्व को समझायाः इसके साथ ही उन्हें टीबी रोगियों के अनुभव को समझने के लिए एक काल्पनिक स्थिति देकर मदद करने का प्रस्तुतीकरण पांच ग्रुपों में कराया। उनको यह भी बताया गया कि टीबी के कार्यक्रम में एक समुदाय के प्रभाव का क्या महत्व होता है और सामुदायिक नेतृत्व की क्या भूमिका होती है। इन सभी सत्रों को कहानियों और खेल के माध्यम से आसानी से प्रशिक्षक संदीप कुमार और धीरज कुमार मिश्रा द्वारा बताया गया। अंत में लोगों के द्वारा कार्ययोजना तैयार करायी गयी  कि अपने आसपास टीबी उन्मूलन  के लिए क्या कार्य करने वाले  हैं। इस प्रशिक्षण के बाद उपस्थित प्रतिभागियों के द्वारा चार लक्षण वाले  रोगी लाया  आया, जिसको इलाज के लिए भागलपुर मायागंज अस्पताल रेफर किया गया।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Aishwarya Sinha

संबंधित पोस्ट