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गोराडीह के माछीपुर में लगाया गया टीबी जाँच शिविर, लोगों को टीबी से बचाव की दी गई जानकारी
- स्क्रीनिंग के दौरान पाँच व्यक्ति मिले लक्षण वाले , सभी को समुचित जाँच के लिए स्थानीय पीएचसी किया गया रेफर
- टीबी के कारण, लक्षण एवं उपचार की दी गई जानकारी
भागलपुर, 30 सितंबर। शुक्रवार को गोराडीह प्रखंड के माछीपुर गाँव स्थित एक सार्वजनिक चौपाल में स्वास्थ्य विभाग एवं केएचपीटी के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय टीबी जाँच शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। शिविर के दौरान मौजूद लोगों को टीबी से कारण, लक्षण एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही बचाव को लेकर जागरूक किया गया। वहीं, शिविर के दौरान मौजूद लोगों को स्क्रीनिंग भी की गयी। जिसमें पाँच लोग लक्षण वाले भी पाएं गए।इन सभी को समुचित जाँच के लिए गोराडीह पीएचसी रेफर किया गया।
केएचपीटी की जिला टीम लीडर आरती झा ने बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः आरती झा ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः आरती झा ने बताया कि टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar