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टीबी मरीजों को इलाज के प्रति जागरूक कर रही हैं ज्योति कुमारी
- टीबी के लक्षण पता चलने पर निजी के बजाय सरकारी अस्पताल में कराएं इलाज
- इलाज में देरी होने पर एमडीआर टीबी होने का रहता है खतरा
- यक्ष्मा केन्द्रों पर जांच से लेकर इलाज तक की है मुफ्त व्यवस्था
मुंगेर, 20 अक्टूबर-
जिला यक्ष्मा केन्द्र पर आए टीबी मरीजों को इलाज के प्रति ज्योति कुमारी जागरूक कर रही हैं। वह बताती हैं कि जिस किसी व्यक्ति में टीबी रोग का लक्षण का पता चले वो तत्काल निजी अस्पताल की बजाय जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर सहित जिला के किसी भी सरकारी अस्पताल में अपना इलाज कराएं। जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर में एसटीएस के पद पर कार्यरत ज्योति कुमारी ने बताया कि यक्ष्मा केन्द्रों पर टीबी मरीज़ों के इलाज में किसी भी तरह का कोई निजी खर्च वहन नहीं करना पड़ता है। टीबी की दवा सहित अन्य जांच सरकारी स्तर पर की जाती है। इसके साथ ही उन्हें अच्छे पोषण के लिए सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपए का लाभ भी मिलता है।
टीबी मरीज बीमारी ठीक होने तक लें दवा की पूरी डोज :
उन्होंने बताया कि कोई भी टीबी मरीज जब तक पूरी तरह से ठीक न हो जाय, तब तक उन्हें टीबी की दवा खानी चाहिए। इस दौरान बीच में ही दवा नहीं छोड़नी चाहिए। टीबी की बीमारी में दवा बीच में छोड़े जाने पर बीमारी और बढ़ जाती है। वहीं एमडीआर टीबी होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
जांच में हुई वृद्धि तो लोग हुए जागरूक :
मुंगेर के जिला टीबी/एचआईवी रोग समन्वयक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि पहले लोग संक्रमित होने के बावजूद टीबी की जांच करवाने से कतराते थे। इसके कारण उनका स्वास्थ्य और भी बिगड़ जाता था। इसके बाद हीं वे सरकारी अस्पताल में दिखाने जाते थे और टीबी की पुष्टि होने पर अपना इलाज करवाते थे। अब सरकार के अथक प्रयासों का फल दिख रहा है। लोग जागरूक होकर खुद से 2 हफ्ते से ज्यादा समय तक खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते ही जांच करवाते हैं। उन्होंने बताया कि टीबी से संक्रमित होने पर मुफ्त दवा देने के साथ ही सरकार ने निक्षय पोषण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत टीबी मरीजों को सरकार हर महीने 500 रुपये की आर्थिक सहायता देती है।
जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए जागरूकता है जरूरी :
मुंगेर के संचारी रोग पदाधिकारी डॉ ध्रुव कुमार शाह ने बताया कि वर्ष 2025 तक जिले को टीबी मुक्त करने के लिए पड़ोस के लोगों को टीबी के लक्षणों, इलाज के विषय में जागरूक करना चाहिए। उनका मानना है कि जिला के शिक्षित लोग यदि टीबी के लक्षण और इससे बचाव को लेकर जागरूक करने लगें तो इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने में काफी मदद मिलेगी। वे कहते हैं टीबी एक आम बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। ऐसे में टीबी के मरीजों से कतई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
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Dr. Rajesh Kumar