थैलेसीमिया को जागरूकता से दी जा सकती है मात



- रक्त से जुड़ी एक जेनेटिक बीमारी है थैलेसीमिया

 - रक्त जांच से हो सकती है थैलेसीमिया बीमारी की पहचान 


मुंगेर, 18 जनवरी-


 थैलेसीमिया एक जेनेटिक  बीमारी है, जो बच्चों को उनके माता- पिता से मिलती  है। यह बीमारी होने के बाद शरीर में हीमोग्लोबिन बनने की प्रक्रिया में गड़बड़ी आ जाती है। यह बीमारी विशेषकर बच्चों में होती है । सही समय पर समुचित इलाज नहीं मिलने पर बच्चों की मौत भी हो जाती है। थैलेसीमिया से बचाव के लिए  बड़े स्तर पर जनजागरूकता की जरूरत है। माता- पिता के जागरूक होने के बाद थैलेसीमिया नामक बीमारी से बच्चों को बचाया जा सकता है। गर्भधारण के वक्त ही जांच कराने से इससे बचाव हो सकता है। 


हीमोग्लोबिन बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है थैलेसीमिया : 

सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ डीपी यादव ने बताया कि  थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रोग है। माता- पिता दोनों में से किसी एक में जीन की गड़बड़ी होने के कारण यह रोग होता है। ये जीन्स हीमोग्लोबिन बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक एक प्रोटीन नहीं बनता है। ये लाल रक्त कोशिकाएं शरीर की सभी कोशिकाओं तक आॅक्सीजन ले जाने का काम करती हैं। खून में पर्याप्त स्वस्थ्य लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होने के कारण शरीर के अन्य सभी हिस्सों में पर्याप्त ऑक्सीजन भी नहीं पहुंच पाता है। इससे पीड़ित बहुत ही जल्द थक जाता और उसे सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। थैलेसीमिया के कारण गंभीर एनीमिया से व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है।


सालाना 10 हजार थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चे लेते हैं जन्म : 

उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया एक गंभीर रोग है जो वंशानुगत बीमारियों की सूची में शामिल है। इससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है, जो हीमोग्लोबिन के दोनों चेन (अल्फा और बीटा) के कम बनने के कारण होता है। आंकड़ों के अनुसार अभी भारत में लगभग 1 लाख थैलेसीमिया के गंभीर मरीज हैं।  प्रत्येक वर्ष लगभग 10,000 थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चे का जन्म होता है। बिहार की  यदि बात करें तो लगभग 2000 थैलेसीमिया से ग्रस्त गंभीर मरीज  हैं जो नियमित ब्लड ट्रांसफयूजन पर जीवित हैं । इन्हें उचित समय पर उचित खून न मिलने एवं ब्लड ट्रांसफयूजन से शरीर में होने वाले आयरन ओवरलोड से परेशानी रहती और इस बीमारी के निदान के लिए होने वाले बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के महंगे होने के कारण वे इसका लाभ नहीं ऊठा पाते हैं। इसलिए खून संबंधित किसी भी तरह की समस्या पति, पत्नी या रिश्तेदार में कहीं हो तो सावधानी के तौर पर शिशु जन्म के पहले थैलेसीमिया की जांच जरूर करवाएं ।


दंपति अपने खून की जरूर करवायें जांच : 

उन्होंने बताया कि अमूमन लोगों को पता नहीं होता है कि उन्हें माइनर थैलेसीमिया है। चूंकि थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रोग है, इसलिए विवाहित दंपतियों को इस बात का ख्याल रखना आवश्यक है कि यदि वो फैमिली के लिए प्लानिंग कर रहे हैं तो एक बार रक्त की जांच करा लेना बेहद जरूरी है। यदि पति या पत्नी दोनों में से किसी को भी थैलेसीमिया है तो डॉक्टर से बात करने के बाद ही परिवार बढ़ाने की योजना की जानी चाहिए।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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