संकट मोचन पेशेंट प्लेटफार्म के तहत फाइलेरिया बीमारी के प्रति लोगों को कर रहें हैं जागरूक 

                
- 17  वर्ष की उम्र में ही फाइलेरिया बीमारी की आ गए थे चपेट में,
 -अपने आसपास  एवं समाज के लोगों को फाइलेरिया जैसी बीमारी से दिलाना चाहते है मुक्ति 
 
 
 
मुंगेर -
 
मुंगेर जिला के महादेवपुर नौवागढ़ी के चंदन कुमार पिछले 23 वर्षों से फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हैं। चंदन उस वक्त से लेकर आज तक न जाने अपनी जीवन में कितनी मुश्किलों का सामना किए। इसे वह शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। इसी प्रकार के कष्टकारी जिंदगी का सामना समाज और आसपास के गांव के लोगों को झेलनी न पड़े। साथ ही फाइलेरिया बीमारी का प्रसार रूक सके।‌ इसी उद्देश्य और मिशन के साथ चंदन संकटमोचन पेशेंट प्लेटफार्म से जुड़कर आसपास के गांवों में और समाज के सभी वर्गों के बीच जाकर फाइलेरिया बीमारी के उन्मूलन अभियान के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
बता दें कि फाइलेरिया जैसी बीमारी से लड़ते हुए चंदन वेक्टर जनित विभाग एवं सीफार के सहयोग से संकट मोचन पेशेंट प्लेटफार्म का गठन कर लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक कर रहे हैं
 चंदन कहते हैं इस पेशेंट प्लेटफार्म के माध्यम  से हम अपने समाज एवं गांव के हर घर तक ये संदेश पहुंचाएंगे कि फाइलेरिया जैसे बीमारी से बचने के लिए आगामी 10 फ़रवरी से शुरू होने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान में दवा का सेवन जरूर करना चाहिए ताकि इस बीमारी से लोग अपना पूर्ण बचाव कर सकें।
 
फाइलेरिया के कारण सपने रह गए अधूरे 
 
लोगों को  इस बीमारी से बचाव एवं जागरूक करने के संदर्भ में चंदन बताते हैं कि मुझे फाइलेरिया की बीमारी महज 17 वर्ष की उम्र में ही हो गया था। उस समय मैं दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था। दसवीं कक्षा पास करके मैं देश की सेवा करने की प्रेरणा लेकर सेना में जाना चाहता था। पर फाइलेरिया बीमारी ने मेरे सपनों को पूरा करने में सबसे बड़ा बाधक बना। इतना ही नहीं मैं आगे की पढाई से भी वंचित रह गया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया होने के बाद मैने सबसे पहले लेप्रा सोसाइटी के सहयोग से अपना इलाज शुरू किया, वहीं से मुझे दवाइयों के साथ चप्पल भी मिला । 
इसके बावजूद परिवार को चलाने के लिए ना चाहते हुए भी मजदूरी के रास्ते पर चलना पड़ा, क्योकि घर में बड़ा होने के नाते अपने परिवार का भरण-पोषण मुझे करना था, तो उस समय जो रास्ता मुझे मिला उस पर मैं चल पड़ा।
आगे चंदन बताते हैं की फाइलेरिया की वजह से 15 दिनों के अंतराल पर ही मुझे बुखार आता था। इसकी वजह से मजदूरी करने में भी काफी परेशानियों  का सामना करना पड़ता था।‌उस समय मात्र 50-60 रुपए प्रति दिन के हिसाब से ही मजदूरी मिलती थी। फाइलेरिया की वजह से शौच क्रिया में परेशानी का सामना करना पड़ता है। आज मैं एक मिठाई की दुकान पर सेल्समैन का काम कर अपनी आजीविका चला रह हूँ। इसलिए मैं आप सभी से अपील करना चाहता हूं कि मेरे जैसा कष्ट भरी जिंदगी किसी और को जीना न पड़े।‌
इस कारण मैं सभी से कहना चाहता हूँ कि आपलोग इस बीमारी की गंभीरता को समझें और समय -समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में खिलाये जाने वाले दवा को जरूर खाएं एवं फाइलेरिया बीमारी से अपने परिवार ,समाज एवं गांव को सुरक्षित रखें।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

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