लखीसराय जिले के सभी स्वास्थ्य स्थानों के चिकित्सकों को दिया गया एक दिवसीय एईएस का प्रशिक्षण 

 
- सदर अस्पताल परिसर स्थित मीटिंग हाॅल में दिया गया प्रशिक्षण 
- सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, भीबीडीएस प्रशिक्षण में हुए शामिल 
 
लखीसराय-
 
सदर अस्पताल परिसर स्थित मीटिंग हाॅल में बुधवार को सिविल सर्जन डाॅ. बीपी सिन्हा की अध्यक्षता में एईएस/जेई (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। जिसमें जिले के सभी स्वास्थ्य स्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम और जिले के सभी प्रखंडों के कालाजार के भीबीडीएस शामिल हुए। यह प्रशिक्षण सदर अस्पताल लखीसराय के चिकित्सक डाॅ. विभूषण कुमार द्वारा मौजूद सभी प्रतिभागियों को विस्तार पूर्वक दिया गया। जिसमें एईएस/जेई का इलाज एवं रोकथाम की विस्तृत जानकारी दी गई। वहीं, डीभीबीडीएस नरेंद्र कुमार ने भी प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों को एईएस रोकथाम के लिए विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार भारती, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक (डीएस) डाॅ राकेश कुमार, भीडीसीओ भगवान दास, शालिनी कुमारी, भीबीडीएस विनोद कुमार चौबे, दिलीप कुमार मालाकार, रत्नेशचंद्र पांडेय आदि मौजूद थे। 
 
- चमकी बुखार के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित उपचार की दी गई जानकारी : 
सिविल सर्जन डाॅ बीपी सिन्हा ने बताया, सदर अस्पताल परिसर स्थित मीटिंग हाॅल में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों को चमकी बुखार (एईएस/जेई) के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज की विस्तृत जानकारी दी गई। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागी संबंधित मरीजों का सुविधाजनक तरीके जरूरी इलाज कर सके और मरीजों को भी इलाज के लिए जिले से बाहर नहीं जाना पड़े। 
 
- चमकी बुखार से बचाव के लिए जागरूकता भी जरूरी : 
प्रशिक्षण देने वाले चिकित्सकों डाॅ. विभूषण कुमार ने बताया, चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है। इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान संबंधित मरीजों की जरूरी समुचित जाँच और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूं कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए। 
 
- ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण : 
- लगातार तेज बुखार चढ़े रहना। 
- बदन में लगातार ऐंठन होना। 
- दांत पर दांत दबाए रहना। 
- सुस्ती चढ़ना। 
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना। 
- चिउंटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि। 
 
- चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी : 
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें। 
-  गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें। 
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
-  पैरासिटामोल की गोली या सिरप दें।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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