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शेखपुरा जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सकों और सीएचओ को दिया गया एईएस का प्रशिक्षण
- सिविल सर्जन कार्यालय परिसर में हुआ प्रशिक्षण आयोजन
- सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चिकित्सक एवं सीएचओ प्रशिक्षण में हुए शामिल
शेखपुरा-
सिविल सर्जन कार्यालय परिसर में बुधवार को सिविल सर्जन डाॅ. संजय कुमार की अध्यक्षता में एईएस/जेई (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। जिसमें जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चिकित्सक और सीएचओ शामिल हुए। यह प्रशिक्षण पटना से प्रशिक्षण प्राप्त कर आए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डाॅ. अशोक कुमार सिंह एवं सदर अस्पताल शेखपुरा के चिकित्सक डाॅ. विपिन कुमार चौधरी के द्वारा मौजूद सभी प्रतिभागियों को विस्तार पूर्वक दिया गया। जिसमें एईएस/जेई का इलाज एवं रोकथाम की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों को एईएस रोकथाम के लिए विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
- चमकी बुखार के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित उपचार की दी गई जानकारी :
सिविल सर्जन डाॅ. संजय कुमार ने बताया, आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों को चमकी बुखार (एईएस/जेई) के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज की विस्तृत जानकारी दी गई। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागी संबंधित मरीजों का सुविधाजनक तरीके जरूरी इलाज कर सके और मरीजों को इलाज के लिए जिले से बाहर नहीं जाना पड़े।
- चमकी बुखार से बचाव के लिए जागरूकता भी जरूरी :
प्रशिक्षक जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डाॅ. अशोक कुमार सिंह एवं सदर अस्पताल शेखपुरा के चिकित्सक डाॅ. विपिन कुमार चौधरी ने बताया, चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है। इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान संबंधित मरीजों की जरूरी समुचित जांच और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जांच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।
- प्रखंड स्तर पर भी दिया जाएगा प्रशिक्षण :
वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी श्याम सुंदर कुमार ने बताया, जेई/एईएस को रोकने के सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। जिसे सार्थक रूप देने के लिए जिस तरह राज्य से प्रशिक्षण प्राप्त कर आए प्रशिक्षकों ने आज जिला स्तर पर प्रशिक्षण दिए। उसी तरह जिला में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागी अपने-अपने स्वास्थ्य संस्थानों के कर्मियों को प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षण देंगे।
- ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
- लगातार तेज बुखार चढ़े रहना।
- बदन में लगातार ऐंठन होना।
- दांत पर दांत दबाए रहना।
- सुस्ती चढ़ना।
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
- चिउंटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
- चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
- गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
- पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।
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Dr. Rajesh Kumar