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भारत की बढ़ती जनसंख्या सतत विकास लक्ष्य एवं विश्वगुरु बनने के लिए कारगर -डॉ.नयन प्रकाश गाँधी यूथ एक्टिविस्ट,आईआईपीएस मुंबई विश्वविद्यालय एलुमनाई)
:यूएनएफपीए रिपोर्ट ने किये आंकड़े पेश
सतत विकास के लक्ष्योंनुरूप : का जनसंख्या प्रोजेक्शन भारत की समेकित उन्नति हेतु हो सकता है मददगार : डॉ नयन प्रकाश गाँधी
(यूएनएफपीए रिपोर्ट : वर्ष 2050 तक भारत में करीब 14 फीसदी भारतीय आबादी की आयु 65 वर्ष से ज्यादा)
भारत, अपनी समृद्ध संस्कृति, विविधतापूर्ण विरासत और ज्ञान की गहरी परंपरा के साथ, सदैव से विश्व गुरु बनने की क्षमता रखता है।भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों, दोनों के अथक प्रयासों और समर्पण से ही पूरा हो सकता है। यदि वे मिलकर काम करें, राष्ट्रीय मूल्यों का सम्मान करें और अपनी क्षमताओं का सदुपयोग करें, तो भारत निश्चित रूप से ज्ञान, शांति और समृद्धि का प्रकाशस्तंभ बनकर उभरेगा।2023 में, भारत ने चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे युवा देश बनने का गौरव प्राप्त किया।संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ‘द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2023’ के मद्देनजर , तथ्यात्मक आंकड़ों के दृष्टिगत भारत की जनसंख्या 1,428.6 मिलियन (142.86 करोड़) तक पहुंच गई है, हालांकि चीन की 1,425.7 मिलियन (142.57 करोड़) है, जिसका मतलब है हमारी जनसंख्या चीन से 2.9 मिलियन यानी 29 लाख अधिक है. यूएनएफपीए रिपोर्ट के आकंड़े कहते हैं कि भारत की 68 प्रतिशत आबादी की उम्र 15-64 वर्ष के बीच है, जबकि 65 वर्ष से ऊपर के सिर्फ 7 प्रतिशत लोग हैं. लेकिन 2050 तक यह परिदृश्य बदल जाएगा.यूएनएफपीए के इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2050 तक भारत में 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की संख्या वर्तमान से दोगुनी हो जाएगी. यानी करीब 14 फीसदी भारतीय आबादी की आयु 65 वर्ष से ज्यादा होगी.यह युवा आबादी भारत के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है, और इंगिंत करती है की वरिष्ठ युवाओ के आधार स्तम्भ बनकर भारत देश की कई युवा चुनौतियों पर मिलकर कार्य कर सकती है ।भारत, अपनी समृद्ध संस्कृति, विविधतापूर्ण विरासत और ज्ञान की गहरी परंपरा के साथ, सदैव से विश्व गुरु बनने की क्षमता रखता है। इस महान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों, दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।यह विश्वास करना उचित है कि यदि भारत अपनी युवा शक्ति और अनुभवी नेतृत्व का सदुपयोग करता है, तो यह निश्चित रूप से एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है और दुनिया में एक सकारात्मक योगदान दे सकता है।किसी भी देश के लिए वरिष्ठ और युवाओ का यह अनुपात सकारात्मक रूप से देखा जाये तो उन्नति का घोतक भी बन सकता है। युवा आबादी एक बड़ी कार्यबल प्रदान करती है, जो आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा दे सकती है।युवा उपभोक्ताओं का एक बड़ा बाजार भी है,जो घरेलू मांग और उद्योगों को गति दे सकता है।हालांकि, युवाओं को रोजगार के अवसर, शिक्षा और कौशल विकास तक पहुंच प्रदान करना महत्वपूर्ण है, ताकि वे अर्थव्यवस्था में सार्थक योगदान दे सकें।युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।बेरोजगारी, गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी समस्याएं भी हैं जिनका समाधान करने की आवश्यकता है।हालांकि, युवाओं की क्षमता को पूरा करने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत को मिलकर काम करने और उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता है।यह एक उज्ज्वल भविष्य का समय है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सके, सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे भारत देश के ऊर्जावान करोडो युवाओं को संगठनात्मक निर्णय लेने वाली संरचनाओं और कार्यक्रम विकास में शामिल किया जा सकता है। किसी परियोजना की शुरुआत से ही युवाओं को शामिल करना आदर्श है; युवाओं को कैसे और कहां शामिल किया जा सकता है,यह हर परिवार ,समाज ,संघठन और स्थानीय प्रशासन और सम्बन्धित राज्यों की सरकार को सोचना होगा और समय रहते इस पर निर्णय लेना होगा. युवा शक्ति भारत की सबसे बड़ी संपत्ति है। युवाओं को सशक्त बनाकर, हम भारत को वैश्विक महाशक्ति बना सकते हैं। यह समय है कि हम युवाओं में निवेश करें और उन्हें देश के निर्माण में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करें। आज हर संस्थानों ,संघठनो में सामाजिक संस्थानों में बरसो से कार्यरत कई वरिष्ठ जन आसीन है ,में कहता हु की संरक्षक मेंटर बनकर अपने जीवन काल में हर वरिष्ठ अनुभवी चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो शिक्षा ,कला मनोरंजन ,राजनितिक ,आर्थिक ,बैंकिंग ,तकनिकी ,डेवलपमेंट ,हॉस्पिटल ,होटल ,एनर्जी ,पावर ,इंफ्रास्ट्रक्चर सिविल ,एरोनॉटिक्स इंडस्ट्रीज सभी क्षेत्रो में अपने कार्यकाल में स्वेच्छिक सेवानिवृति लेकर युवाओ को महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ करना चाहिए और एक्सपर्ट अनुभवी वरिष्ठों को संरक्षक मेंटर बनकर अपने आवश्यक मार्गदर्शन से राष्ट्र उत्थान हेतु बिना किसी ईर्ष्या द्वेषता के युवाओ को प्रोत्साहित मार्गदर्शन कर आगे बढ़ाना चाहिए। तभी रोजगार के साधन बढ़ेंगे। यही नहीं वरिष्ठ सिटीजन प्रोफेशनल युवाओ को जोड़कर स्वेच्छिक सेवा निवृति के बाद युवा रोजगार साधन विकसित हेतु इंडस्ट्री स्टार्टअप हेतु आगे भी आ सकता है ,क्योकि देखा जा रहा है बड़े बड़े धनवान कारोबारी ,विभिन्न उच्च पदों से रिटायर्ड सिटीजन समय रहते अपने जीवन काल में तो युवा रोजगार साधन आगे नहीं बड़ा सके और अपनी सम्पति किसी मंदिर ट्रस्ट या सरकार को दान करके चले गए। अरे में कहता हु उन सभी वरिष्ठ जनो से जो लगभग परिवार की वित्तीय जिम्मेदारी से मुक्त है ,संयुक्त परिवार सदस्यों के दबाव से मुक्त है और स्व निर्णय लेने में सक्षम है ,जिनके बच्चे उच्च पदों पर पदस्थ है और विदेशो में है या उनका साथ देकर स्थानीय क्षेत्र में इंडस्ट्री नहीं खोलना चाहते है,तो ऐसे अनुभवी वरिष्ठ जनो रिटायर्ड प्रोफेशनल्स को अपने जीवन काल में नजदीकी अच्छे प्रशिक्षित युवाओ को या शैक्षणिक संस्थानों से जुड़कर स्व्य द्वारा चयनित कर इच्छुक उपयुक्त बच्चो को स्टार्टअप बिजनेस के लिए निशुल्क नहीं इंटरेस्ट फ्री लोन प्रदत कर सेवा का कार्य युवा सशक्तिकरण पहल को क्रियान्वयन करना चाहिए।कई कॉर्पोरेट,सामाजिक संसथान एवं पालिसी क्रियान्वयन संघठन है जिनमे आज भी युवाओ को उच्चस्तरीय पालिसी मेकिंग स्ट्रेटिजिक मैनेजमेंट ,उच्च रणनीतिक ,प्लानिंग डेवलपमेंट पदों पर आसीन करना होगा। तभी भारत देश विश्व की महाशक्ति और जगत गुरु बन पायेगा।यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि "विश्व गुरु" की अवधारणा बहुआयामी है और इसकी विभिन्न व्याख्याएं हो सकती हैं। कुछ लोग इसे वैश्विक नेतृत्व और प्रभाव की स्थिति के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे ज्ञान और संस्कृति के केंद्र के रूप में देखते हैं। भारत के लिए "विश्व गुरु" बनने का क्या अर्थ है, यह तय करना प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है।भारत की विविधता और समावेशी संस्कृति इसकी सबसे बड़ी ताकत में से एक है।
भारत, अपनी समृद्ध संस्कृति, विविधतापूर्ण विरासत और ज्ञान की गहरी परंपरा के साथ, सदैव से विश्व गुरु बनने की क्षमता रखता है।भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों, दोनों के अथक प्रयासों और समर्पण से ही पूरा हो सकता है। यदि वे मिलकर काम करें, राष्ट्रीय मूल्यों का सम्मान करें और अपनी क्षमताओं का सदुपयोग करें, तो भारत निश्चित रूप से ज्ञान, शांति और समृद्धि का प्रकाशस्तंभ बनकर उभरेगा।2023 में, भारत ने चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे युवा देश बनने का गौरव प्राप्त किया।संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ‘द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2023’ के मद्देनजर , तथ्यात्मक आंकड़ों के दृष्टिगत भारत की जनसंख्या 1,428.6 मिलियन (142.86 करोड़) तक पहुंच गई है, हालांकि चीन की 1,425.7 मिलियन (142.57 करोड़) है, जिसका मतलब है हमारी जनसंख्या चीन से 2.9 मिलियन यानी 29 लाख अधिक है. यूएनएफपीए रिपोर्ट के आकंड़े कहते हैं कि भारत की 68 प्रतिशत आबादी की उम्र 15-64 वर्ष के बीच है, जबकि 65 वर्ष से ऊपर के सिर्फ 7 प्रतिशत लोग हैं. लेकिन 2050 तक यह परिदृश्य बदल जाएगा.यूएनएफपीए के इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2050 तक भारत में 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की संख्या वर्तमान से दोगुनी हो जाएगी. यानी करीब 14 फीसदी भारतीय आबादी की आयु 65 वर्ष से ज्यादा होगी.यह युवा आबादी भारत के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है, और इंगिंत करती है की वरिष्ठ युवाओ के आधार स्तम्भ बनकर भारत देश की कई युवा चुनौतियों पर मिलकर कार्य कर सकती है ।भारत, अपनी समृद्ध संस्कृति, विविधतापूर्ण विरासत और ज्ञान की गहरी परंपरा के साथ, सदैव से विश्व गुरु बनने की क्षमता रखता है। इस महान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों, दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है।यह विश्वास करना उचित है कि यदि भारत अपनी युवा शक्ति और अनुभवी नेतृत्व का सदुपयोग करता है, तो यह निश्चित रूप से एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है और दुनिया में एक सकारात्मक योगदान दे सकता है।किसी भी देश के लिए वरिष्ठ और युवाओ का यह अनुपात सकारात्मक रूप से देखा जाये तो उन्नति का घोतक भी बन सकता है। युवा आबादी एक बड़ी कार्यबल प्रदान करती है, जो आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा दे सकती है।युवा उपभोक्ताओं का एक बड़ा बाजार भी है,जो घरेलू मांग और उद्योगों को गति दे सकता है।हालांकि, युवाओं को रोजगार के अवसर, शिक्षा और कौशल विकास तक पहुंच प्रदान करना महत्वपूर्ण है, ताकि वे अर्थव्यवस्था में सार्थक योगदान दे सकें।युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।बेरोजगारी, गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी समस्याएं भी हैं जिनका समाधान करने की आवश्यकता है।हालांकि, युवाओं की क्षमता को पूरा करने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत को मिलकर काम करने और उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता है।यह एक उज्ज्वल भविष्य का समय है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सके, सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे भारत देश के ऊर्जावान करोडो युवाओं को संगठनात्मक निर्णय लेने वाली संरचनाओं और कार्यक्रम विकास में शामिल किया जा सकता है। किसी परियोजना की शुरुआत से ही युवाओं को शामिल करना आदर्श है; युवाओं को कैसे और कहां शामिल किया जा सकता है,यह हर परिवार ,समाज ,संघठन और स्थानीय प्रशासन और सम्बन्धित राज्यों की सरकार को सोचना होगा और समय रहते इस पर निर्णय लेना होगा. युवा शक्ति भारत की सबसे बड़ी संपत्ति है। युवाओं को सशक्त बनाकर, हम भारत को वैश्विक महाशक्ति बना सकते हैं। यह समय है कि हम युवाओं में निवेश करें और उन्हें देश के निर्माण में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करें। आज हर संस्थानों ,संघठनो में सामाजिक संस्थानों में बरसो से कार्यरत कई वरिष्ठ जन आसीन है ,में कहता हु की संरक्षक मेंटर बनकर अपने जीवन काल में हर वरिष्ठ अनुभवी चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो शिक्षा ,कला मनोरंजन ,राजनितिक ,आर्थिक ,बैंकिंग ,तकनिकी ,डेवलपमेंट ,हॉस्पिटल ,होटल ,एनर्जी ,पावर ,इंफ्रास्ट्रक्चर सिविल ,एरोनॉटिक्स इंडस्ट्रीज सभी क्षेत्रो में अपने कार्यकाल में स्वेच्छिक सेवानिवृति लेकर युवाओ को महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ करना चाहिए और एक्सपर्ट अनुभवी वरिष्ठों को संरक्षक मेंटर बनकर अपने आवश्यक मार्गदर्शन से राष्ट्र उत्थान हेतु बिना किसी ईर्ष्या द्वेषता के युवाओ को प्रोत्साहित मार्गदर्शन कर आगे बढ़ाना चाहिए। तभी रोजगार के साधन बढ़ेंगे। यही नहीं वरिष्ठ सिटीजन प्रोफेशनल युवाओ को जोड़कर स्वेच्छिक सेवा निवृति के बाद युवा रोजगार साधन विकसित हेतु इंडस्ट्री स्टार्टअप हेतु आगे भी आ सकता है ,क्योकि देखा जा रहा है बड़े बड़े धनवान कारोबारी ,विभिन्न उच्च पदों से रिटायर्ड सिटीजन समय रहते अपने जीवन काल में तो युवा रोजगार साधन आगे नहीं बड़ा सके और अपनी सम्पति किसी मंदिर ट्रस्ट या सरकार को दान करके चले गए। अरे में कहता हु उन सभी वरिष्ठ जनो से जो लगभग परिवार की वित्तीय जिम्मेदारी से मुक्त है ,संयुक्त परिवार सदस्यों के दबाव से मुक्त है और स्व निर्णय लेने में सक्षम है ,जिनके बच्चे उच्च पदों पर पदस्थ है और विदेशो में है या उनका साथ देकर स्थानीय क्षेत्र में इंडस्ट्री नहीं खोलना चाहते है,तो ऐसे अनुभवी वरिष्ठ जनो रिटायर्ड प्रोफेशनल्स को अपने जीवन काल में नजदीकी अच्छे प्रशिक्षित युवाओ को या शैक्षणिक संस्थानों से जुड़कर स्व्य द्वारा चयनित कर इच्छुक उपयुक्त बच्चो को स्टार्टअप बिजनेस के लिए निशुल्क नहीं इंटरेस्ट फ्री लोन प्रदत कर सेवा का कार्य युवा सशक्तिकरण पहल को क्रियान्वयन करना चाहिए।कई कॉर्पोरेट,सामाजिक संसथान एवं पालिसी क्रियान्वयन संघठन है जिनमे आज भी युवाओ को उच्चस्तरीय पालिसी मेकिंग स्ट्रेटिजिक मैनेजमेंट ,उच्च रणनीतिक ,प्लानिंग डेवलपमेंट पदों पर आसीन करना होगा। तभी भारत देश विश्व की महाशक्ति और जगत गुरु बन पायेगा।यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि "विश्व गुरु" की अवधारणा बहुआयामी है और इसकी विभिन्न व्याख्याएं हो सकती हैं। कुछ लोग इसे वैश्विक नेतृत्व और प्रभाव की स्थिति के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे ज्ञान और संस्कृति के केंद्र के रूप में देखते हैं। भारत के लिए "विश्व गुरु" बनने का क्या अर्थ है, यह तय करना प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है।भारत की विविधता और समावेशी संस्कृति इसकी सबसे बड़ी ताकत में से एक है।
लेखक : चर्चित युवा विचारक है, ये उनके अपने विचार है और भारत देश के युवा सशक्तिकरण मुहीम हेतु प्रयत्नशील है स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के विश्व विख्यात अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) मुंबई विश्वविद्यालय के एलुमनाई भी है, वर्ल्ड यूथ आर्गेनाइजेशन इण्डिया के एशियाई संयुक्त निदेशक है और ग्लोबल एक्सीलेंस फोरम के युवा राष्ट्रिय उपाध्यक्ष भी है एवं पूर्व में राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास विभाग एवं योजना भवन में राज्य स्तर पर विभिन्न अंशकालिक प्रोजेक्ट पद पर रह चुके है।
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Dr. Rajesh Kumar