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संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों से भारत के नागरिक लोकतांत्रिक आचरण व संसदीय व्यवहार के प्रति बन रहे हैं जिम्मेदार- मीनाक्षी लेखी
नई दिल्ली-
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जो नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के बुनियादी पहलुओं को बरकरार रखता है। संविधान में शामिल संवैधानिक मूल्यों और मौलिक अधिकारों के प्रति युवाओं को जागरुक के उद्देश्य से “संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान” (आईसीपीएस), नई दिल्ली और साउथ एशियन यूनिवर्सिटी द्व्रारा संयुक्त रूप से 'संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के साथ युवाओं को सशक्त बनाना' विषय पर एसएयू परिसर में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि भाग लेने आई पूर्व केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और वरिष्ठ अधिवक्तामीनाक्षी लेखी ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों का उद्देश्य व्यक्तिगत हितों और सामूहिक आकांक्षाओं को संतुलित करना है। उन्होंने कहा कि मौलिक कर्तव्य राष्ट्र के चरित्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के साथ युवाओं को सशक्त बनाने के लिए संविधान की शिक्षाओं और सिद्दातों को सार्वभौमिक बनाना जरूरी है। इससे संविधान को उन सभी लोगों के लिए ज्यादा सुलभ बनाया जा सकता है जो गणतंत्र का हिस्सा है। भारत सरकार द्वारा इसके लिए उचित कदम उठाये जा रहे हैं। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि संवैधानिक मूल्य और मौलिक कर्तव्य भारत के नागरिकों को लोकतांत्रिक आचरण व संसदीय व्यवहार के प्रति जिम्मेदार बनाते है।
कार्यक्रम के दौरान लोकसभा सचिवालय के पूर्व संयुक्त सचिव डॉ रवींद्र गरिमेला ने कहा कि मौलिक कर्तव्य राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए नागरिकों की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। कार्यशाला को संबोधित करते हुए संवैधानिक और संसदीय अध्ययन संस्थान की निदेशक डॉ. सीमा कौल सिंह ने कहा कि मौलिक कर्तव्य देश के नागरिकों में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और भाई चारे की भावना बढ़ाने के साथ सकारात्मक नागरिकता को प्रौत्साहित करने व संविधान के मूल्यों को बनाये रखने के लिए निर्धारित किए गए हैं।
कार्यक्रम के दौरान एसएयू की सहायक प्राध्यापक (कानून)डॉ. दक्षा शर्मा ने कहा कि संविधान सरकार की संरचना, शक्तियों, जिम्मेदारियों और नागरिकों के साथ उनके संबधों को परिभाषित करता है और उन्हे लिक अधिकारों की गारंटी देता है। इस कार्यशाला के जरिए युवाओं को संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों के बारे में जानकारी देने में मदद मिलेगी।
कार्यशाला के दौरान एसएयू के सहायक प्राध्यापक डॉ. बलराम प्रसाद राउत ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी देश में मूल्य, अधिकार और कर्तव्य वहां के नागरिकों और संस्थानों द्वारा व्यवहार में लाए जाते हैं तो उस देश को धर्मनिरपेक्ष, लोंकतांत्रिक गणराज्य बनाए रखने में मदद मिलेगी। यही वजह है कि भारत जैसे विशाल राष्ट्र के नागरिक संविधानको देश की आत्मा और संसंद को लोकंतत्र का मंदिर मानते है।
कार्यशाला के अंत में कार्यक्रम की मॉडरेटर और एसएयू की सहायक प्राध्यापक (कानून) डॉ. दक्षा शर्मा ने छात्रों सभी छात्रों अतिथियों का आभार जताया।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar