खांसी अधिक होने पर आशा दीदी ने दी टीबी जांच की सलाह : गोपी

 

15 दिनों से अधिक हो खांसी तो जरूर कराएं बलगम जांच : डॉ श्रीनिवाश शर्मा
ईंट -भट्टे पर काम करने वाले रहे सतर्क मास्क का करें उपयोग


लखीसराय-


लखीसराय जिले के पत्नेर गांव निवासी गोपी कुमार अपने साथ अपने परिवार की आजीविका के लिए ईंट -भट्टे पर कार्य करता है . इस आजीवका के सहारे ही उसके परिवार का गुजर -बसर हो पाता है पर यहाँ काम करेने के दौरान उसे पहले बुखार हुआ फिर खांसी भी। गोपी इसे मामूली बुखार एवं खांसी समझ ग्रामीण डॉक्टर से दवाई ली . इससे बुखार तो कम हुआ पर खांसी ठीक नहीं हुआ। इस बीच मैं मजूदरी छोड़कर घर पर ही रहने लगाव क्योकिं तबीयत ठीक नहीं होने के कारण काम पे जा नहीं पा रहा था ये कहते हुए गोपी कहता है धीरे -धीरे मुझे कमजोरी भी महूसस होने लगी ,मैं सोचने लगा की क्या बीमारी है मुझे .इसी उधेड़ -बुन में एक दिन गाँव की आशा दीदी मुझे मिली तो उन्होंने मुझे इस हालत में देखते ही कहा की तुम मेरे साथ सदर अस्पताल बलगम जांच के लिए। उसके बाद मैं आशा पप्पी कुमारी के साथ बलगम जांच के लिए गया। जहां मुझे टीबी होने की बात कही गयी।

गोपी आगे बताता है की टीबी की पुष्टि होने के बाद लगातर मुझे 6 महीने तक दवा आशा दीदी के माध्यम से निःशुल्क मिलता रहा। पूरी दवा खाने के बाद मुझे फिर सदर अस्पताल बुलाया गाया जांच के लिए जांच के बाद डॉक्टर साहब ने कहा तुम अब पूरी तरह से ठीक हो। अब मैं अपने कार्य पर पूर्व की भातीं जा रहा हूं ,पर अब मैं पहले से सतर्क हो कर अपना कार्य करता हूं। काम के दौरान गमछा बांधकर ही ईंट -भट्टे पर कार्य करता हूँ ताकि धुल -कण से अपना बचाव कर पाऊं
ये मुझ जैसे काम करने वाले सभी लोगों को अपनाना चाहिए ।

ईंट -भट्टे पर काम करने वाले रहे सतर्क:
जिला संचारी रोग -पदाधिकारी डॉ श्रींनिवाश शर्मा कहते हैं ईंट-भट्टे पर कार्य करने वाले लोग अपने कार्य के दौरान संभव हो तो मास्क का इस्तेमाल करें नहीं तो गमछा के द्वारा भी मुंह एवं नाक के माध्यम से जाने वाली धुल -कण से अपना बचाव कर सकते हैं। ताकि एक हद तक टीबी जैसी बीमारी से वो लोग अपना बचाव कर सकें ।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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