बच्चे के क्रियाकलाप बताते हैं उनका विकास


- जन्म के बाद से लगातार बदलते रहते हैं भाव, होता है मानसिक व शारीरिक विकास
- बच्चे के हाव-भाव से पता चलता है कि वह किस गति से आगे बढ़ रहा है
- दो, चार, छह, नौ और 12वें माह में दिखता है अलग-अलग बदलाव

लखीसराय-

नवजात के जन्म से उसके एक वर्ष के होने तक उचित पोषण के अलावा उसकी शारीरिक क्रियाओं पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। उसके शारीरिक व्यवहार से उसके विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है। भूख लगने पर रोने, खुश रहने पर खेलने-हंसने से उसके स्वस्थ रहने का अंदाजा लगाया जा सकता है। उसकी अन्य शारीरिक क्रियाओं से भी उसके विकास की गति की परख की जा सकती है। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक भारती ने बताया हैं कि यह काल (जन्म से एक वर्ष) उसके पूर्ण मानसिक और शारीरिक विकास की रूपरेखा तय करती है। इस दौरान शिशु के क्रियाकलापों से उसकी विकास की गति की परख की जा सकती है।

जन्म के बाद दो माह के होने पर शिशु का विकास:
डॉ भारती बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में नवजात शिशु के सिर का विशेष ख्याल रखना होता है। इस वक्त शिशु को सिर्फ एक ही तरह से सुलाना चाहिए ताकि उनके सिर पर खास दबाव न पड़े। आमतौर पर शिशु के सिर का मूवमेंट चार से पांच महीने के बाद अच्छे से घूमने लगता है। वहीं जन्म के दूसरे माह की सबसे बड़ी घटना शिशु की मुस्कान होती है। वह लोगों की बातों की ओर ध्यान भी देने लगता है। पहले माह में लगभग 20 घंटे और उसके बाद एक बार में थोड़े लंबे समय के लिए शिशु सोएगा।

चार माह के होने पर शिशु में आता बदलाव:
चार माह के होने पर शिशु की दृष्टि लगातार बढ़ती रहती है। इस महीने वह एक जैसे दिखने वाले रंगों में अंतर करना और आकर्षित होना शुरू कर सकता है। हाथ पैर मारने के अलावा खिलौनों से खेलना और दोनों हाथों से पकड़ बनाना शुरू करेगा। वहीं जब वह इन्हें पकड़ लेगा तो मुंह में डालने का प्रयास करेगा। रोने के अलावा व गुस्से का भी प्रदर्शन करना इस उम्र में शुरू कर देगा।

छह माह होने पर शिशु की बदली प्रवृति:
वह अब अपनी आखों और व्यवहार से गुस्से और प्रतिक्रिया को व्यक्त करेगा। इस उम्र में वह रोने के साथ-साथ संचार के अन्य तरीके भी सीखेगा। अब वह कुलबुलाकर, बड़बड़ाकर और अलग-अलग मुखाकृतियों व भावों के जरिये अपनी बातें बताने के लिए मेहनत करेगा। शिशु इस महीने में अपने दोनों दिशाओं में पलटना सीख जाता है।

नौवां माह और शिशु का विकास:
नौ महीने के बच्चा कुछेक कदम चलने लगेगा। हालांकि इस दौरान उसे सहारे की जरूरत होगी। वहीं अब शिशु घुटनों को मोड़ना और खड़े होने के बाद बैठना भी सीखने लगेगा। शिशु अब अपनी जरूरतों जैसे खिलौने और इच्छाओं जैसे खाने को भी जाहिर करने लगेगा। इशारे जैसे टाटा, बाय बाय वह करना सीख जाएगा।

एक साल का होते ही शिशु में आता है बदलाव:
डॉ अशोक भारती ने बताया 12वें माह यानी एक साल का होते ही शिशु के खेलने के तरीके में बदलाव आ जाता है। अब शिशु चीजों को उठाने और छोटी वस्तुओं को हाथ में लेकर घुमाना फिराना शुरू कर देगा। अब वह अपने पसंदीदा खेल पहले से ज्यादा शोर करके खेलेगा। चीजों को धकेलने, फेंकने और नीचे गिरा देना उसके लिए मजेदार होगा है। दूसरों को अपने खेल में शामिल करेगा। अकेले रहने पर रोने लगेगा। अब ज्यादा कदमों के साथ चलना शुरू कर देगा। यह सब क्रिया स्वस्थ रहते हुए बच्चा कर रहा है तो समझें की वह सामान्य और सही रूप से बड़ा हो रहा है। हालांकि इसके साथ कई जांच और चिकित्सीय जांच सलाह शामिल हैं जो आप लेकर उसके विकास की गति को परख सकते हैं।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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