भारतीय लोकमत राष्ट्रवादी पार्टी का बड़ा ऐलान: आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की उठी जोरदार मांग


जंतर मंतर, नई दिल्ली-


देश की सामाजिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव की मांग को लेकर आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय लोकमत राष्ट्रवादी पार्टी ने एक महाधरना का आयोजन किया। इस प्रदर्शन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज कुमार शर्मा, राष्ट्रीय संगठन मंत्री कौशल जांगड़े, युवा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष कौतिका राउत, समेत विभिन्न राज्यों से आए पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
धरने का मूल उद्देश्य था — भारत सरकार से यह मांग करना कि आरक्षण की वर्तमान जातिगत व्यवस्था को समाप्त कर आर्थिक आधार पर नया आरक्षण ढांचा लागू किया जाए।

पंकज कुमार शर्मा: आरक्षण का सही हकदार गरीब है, न कि जाति विशेष
पार्टी अध्यक्ष पंकज कुमार शर्मा ने मंच से संबोधन करते हुए कहा:
“आज का हमारा यह आंदोलन किसी जाति, धर्म या वर्ग के खिलाफ नहीं है। यह आवाज़ उन लाखों-करोड़ों गरीबों की है जो जातिगत आरक्षण की व्यवस्था में पीछे रह गए, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे उस जाति में पैदा नहीं हुए जिसे आरक्षण का लाभ मिल रहा है।”
उन्होंने 1952 की आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा:
“1952 में जब आरक्षण लागू किया गया था, तब समाज की सामाजिक स्थिति बेहद पिछड़ी हुई थी। दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए यह जरूरी था। लेकिन आज 2025 में भारत की सामाजिक संरचना बदल चुकी है। अब जाति नहीं, आर्थिक परिस्थिति निर्धारण का पैमाना होनी चाहिए।”
पंकज शर्मा ने “एक बार लाभ, फिर बार-बार क्यों?” सवाल उठाते हुए कहा:
“अगर एक परिवार को आरक्षण का लाभ मिल चुका है, वह मुख्यधारा में आ चुका है, अच्छी शिक्षा, नौकरी और संसाधन प्राप्त कर चुका है, तो अगली पीढ़ी को क्यों आरक्षण दिया जाए? यह अन्याय है उन परिवारों के साथ जो आज भी गरीबी और वंचना से जूझ रहे हैं।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा:
“एक ही मां के चार बेटे हैं। एक बेटे को आरक्षण मिल गया और उसने तरक्की कर ली। लेकिन बाकी तीन बेटे पीछे छूट गए। अब चार पीढ़ियों से उसी एक बेटे की संतानों को आरक्षण मिलता जा रहा है और बाकी का कोई ध्यान नहीं है। क्या यह न्याय है?”

शिक्षा के क्षेत्र में मानसिक विकास पर हमला
पंकज शर्मा ने आरक्षण के दुष्प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह छात्रों की मानसिक क्षमताओं को बाधित करता है।
“हमारे दलित और आदिवासी बच्चे क्लास 1 से लेकर क्लास 10 तक 90-99% अंक लाते हैं। वे मेहनती हैं, होशियार हैं। लेकिन फिर उन्हें कहा जाता है कि आरक्षण है, तुम्हें सिर्फ 10 नंबर लाने हैं। इससे उनका आत्मबल टूटता है। ये सिस्टम प्रतिभा का गला घोंट रहा है।”

नेताओं पर करारा हमला: 'जाति की राजनीति से अरबपति बनने वाले'
अपने जोशीले भाषण में पंकज शर्मा ने उन नेताओं पर हमला बोला जो वर्षों से जाति और आरक्षण के नाम पर राजनीति करते आ रहे हैं।
“हमने देखा है कि कुछ नेता पहले बिल्कुल साधारण और गरीब होते हैं। फिर जातिगत आरक्षण की राजनीति करते हैं, लोगों की भावनाओं को भड़काते हैं, और देखते ही देखते अरबों-खरबों की संपत्ति के मालिक बन जाते हैं। और जनता? आपस में बंटी रह जाती है, लड़ी जाती है, मरती है!”
उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा:
“नेता तो आज एक-दूसरे की बुराई करेंगे और कल एक हो जाएंगे, लेकिन आपकी आपसी लड़ाई में अगर किसी का हाथ-पैर टूट गया, जान चली गई — तो क्या वह वापस आएगा? सोचिए, आपके माता-पिता आपके बाद कैसे जिएंगे?”

कौशल जांगड़े: ‘मैं खुद अनुसूचित जाति से हूं, लेकिन अब सुधार जरूरी है’
धरने में मौजूद राष्ट्रीय संगठन मंत्री कौशल जांगड़े, जो स्वयं अनुसूचित जाति से आते हैं, ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की।
“मैं SC समाज से आता हूं, लेकिन मेरा दिल कहता है कि अब देश में आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू किया जाना चाहिए। जिन परिवारों को एक बार आरक्षण मिल चुका है, उन्हें बार-बार इसका फायदा नहीं मिलना चाहिए। इससे अन्य गरीब तबकों का हक छीना जा रहा है।”
प्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा:
प्रश्न: क्या इस मांग से SC समुदाय आपसे नाराज़ नहीं होगा?
उत्तर: “नहीं, नाराज़ वही होंगे जो वर्षों से इसका अनुचित लाभ उठा रहे हैं। लेकिन जो लोग आज भी वंचित हैं, उन्हें इससे न्याय मिलेगा। देश में जातिगत आरक्षण की वजह से सामाजिक फूट बढ़ी है, जबकि आर्थिक आधार पर आरक्षण से एकता और प्रेम बढ़ेगा।”

कौतिका राउत: 'जाति नहीं, गरीबी ही असली मापदंड होनी चाहिए'
भारतीय लोकमत राष्ट्रवादी पार्टी की युवा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष कौतिका राउत, जो महाराष्ट्र से आई हैं और आदिवासी पृष्ठभूमि से आती हैं, ने भी इस विषय पर विचार साझा किए।
“अमीर घर में पैदा होना और गरीब घर में पैदा होना किसी के हाथ में नहीं है। एक बच्चा जब दसवीं क्लास तक पढ़ता है, तब उसे यह नहीं पता होता कि वह किस जाति में आता है। लेकिन जैसे ही वह सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म भरता है, उसे बताया जाता है कि वह दलित है, या आदिवासी है। ये बहुत दुखद है।”
प्रश्न: क्या आदिवासी समाज इस मांग से कटेगा?
उत्तर: “अब लोग शिक्षित हो चुके हैं। अब भावनात्मक शोषण से वोट नहीं मिलते। जो गलत तरीके से आरक्षण का फायदा उठा रहे हैं, उन्हें ही दिक्कत होगी। बाकी लोग बदलाव चाहेंगे।”

पार्टी की मुख्य मांगें:
1. आरक्षण जातिगत आधार से हटाकर पूरी तरह आर्थिक आधार पर लागू किया जाए।
2. एक परिवार को एक बार आरक्षण का लाभ मिलने के बाद अगली पीढ़ी को न दिया जाए।
3. सिर्फ उन्हीं परिवारों को आरक्षण का लाभ मिले जिनकी सालाना आय ₹6 लाख से कम है।
4. देशभर में जातिगत भेदभाव को खत्म कर सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जाएं।

नया भारत, नई सोच
भारतीय लोकमत राष्ट्रवादी पार्टी के इस धरना प्रदर्शन ने एक नई बहस को जन्म दिया है। क्या अब वक्त आ गया है कि भारत की आरक्षण नीति पर पुनर्विचार हो? क्या जातिगत आरक्षण से हटकर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए नई व्यवस्था बने?
इस सवाल के जवाब आने वाले समय और जनचेतना पर निर्भर हैं, लेकिन इतना तय है कि आज की युवा पीढ़ी जाति नहीं, योग्यता और आवश्यकता के आधार पर अधिकार चाहती है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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