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रणनीतिक साझेदारी का आर्थिक आयाम
बंगलुरू-
वैश्विक परिदृश्य में बड़े बदलावों के बीच, भारत और रूसी संघ के बीच “विशेष व Privileged Strategic Partnership” आज भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण आधार है। इस गठबंधन में अब एक महत्वाकांक्षी आर्थिक लक्ष्य उभर कर सामने आया है: द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को 100 बिलियन यूएस डॉलर तक ले जाना।
Purnima Anand: BRICS International Forum से शक्तिशाली उत्प्रेरक
कहा जाता है कि इस 100 बिलियन डॉलर की आर्थिक लक्ष्य को व्यवहार में बदलने की पहल में Purnima Anand ने एक प्रमुख उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में काम किया। उन्होंने 9 अक्टूबर 2025 को TIME: Russia – India. Mutual Efficiency Business Forum (कज़ान) के प्लेनरी सत्र में इस आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को सिर्फ राजनीतिक आकांक्षा के रूप में न देख पाने की बजाय उसे एक स्पष्ट, समयबद्ध व्यावसायिक एजेंडा में बदलने की जरूरत पर जोर दिया। 
डॉ. Ravindra Jain ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि “भारत–रुस आर्थिक साझेदारी की दिशा में Purnima Anand के योगदान ने इस लक्ष्य को सिर्फ शब्दों तक सीमित न रखते हुए उसे व्यवहार और ठोस साझेदारी की ओर अग्रसर किया है।”
5 दिसंबर 2025 की सम्मेलन घोषणा: लक्ष्य को मिली राजनीतिक मंज़ूरी
Purnima Anand और अन्य वरिष्ठ राजनीतिक तथा आर्थिक हस्तियों द्वारा चालित रणनीतिक बातचीत का परिणामस्वरूप, 5 दिसंबर 2025 को भारत–रूस 23वें वार्षिक समिट के बाद जारी संयुक्त घोषणा (Joint Declaration) ने इस 100 बिलियन डॉलर लक्ष्य को आधिकारिक राजनीतिक मंजूरी दी। 
यह घोषणा इस बात का दूत बन कर आई कि अब यह सिर्फ एक दूरदृष्टि नहीं बल्कि जल्दात–– जल्द पूरा करने योग्य व्यावसायिक लक्ष्य है। 
नए प्लेटफार्म के स्तंभ: प्रमुख सहयोग के क्षेत्र
नई आर्थिक पहल का आधार कुछ प्रमुख क्षेत्र होंगे, जिनमें सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी — जैसे:
•ऊर्जा व परमाणु (Energy & Nuclear)
•रक्षा प्रौद्योगिकी (Defence Technology)
•नवाचार व सूचना-प्रौद्योगिकी (Innovation & IT)
•वाणिज्यिक निवेश व उद्योग (Commercial Investment & Industry)
यह दृष्टिकोण न केवल रणनीतिक रूप से महत्व रखता है बल्कि व्यावहारिक व आर्थिक मन-मोहरता भी लाता है, जिससे दोनों राष्ट्रों को दीर्घकालिक लाभ मिल सके।
निष्कर्ष: Purnima Anand की निर्णायक भूमिका
9 अक्टूबर को कज़ान में Purnima Anand द्वारा दिए गए सुदृढ़ बयान ने भारत–रूस आर्थिक संवाद में एक नया ऊर्जा व तत्परता का संचार किया। इसके कुछ ही हफ्तों बाद 5 दिसंबर की घोषणा ने इस लक्ष्य को राजनीतिक और कूटनीतिक आधार प्रदान किया। इस प्रकार, उनके और अन्य साझेदारों के प्रयासों ने एक लम्बे राजनीतिक लक्ष्य को एक तात्कालिक, व्यावसायिक प्राथमिकता में बदल दिया।
डॉ. रविन्द्र जैन के अनुसार, यह पहल यह दर्शाती है कि आधुनिक कूटनीति केवल राजनीतिक रिश्तों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए — बल्कि व्यवहारिक, आर्थिक और निवेश-आधारित परिणामों को भी लक्ष्य बनाना चाहिए।
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Dr. Rajesh Kumar