आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन कार्यक्रम आयोजित , उचित पोषण की दी गई जानकारी

 


- छः माह से ऊपर के बच्चों का हुआ अन्नप्राशन, पौष्टिक आहार के महत्व की दी गई जानकारी 

- बच्चों को छः माह के बाद ऊपरी आहार के साथ दो वर्षों तक  स्तनपान भी जरूरी 


खगड़िया, 19 दिसंबर-


 सोमवार को जिले के सभी प्रखंडों में संचालित आंगनबाड़ी  केंद्रों पर उत्सवी माहौल में अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान जिले की सभी सेविका-सहायिका ने अपने-अपने आंगनबाड़ी  केंद्रों पर छः माह की उम्र पार करने वाले बच्चों को पहलीबार अन्नप्राशन कराया।  साथ हीं  बच्चे की माँ को बच्चे के 6 माह के बाद ऊपरी आहार की विशेषता बताते हुए अन्नप्राशन के महत्व की विस्तार से जानकारी दी। ताकि बच्चे का शारीरिक विकास और स्वस्थ शरीर निर्माण हो सके। वहीं, बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उचित पोषण की जानकारी दी गई और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया गया। जिसमें बताया गया कि कुपोषण को मिटाने के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। इसलिए, सरकार द्वारा इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर उचित पोषण के लिए जागरूक किया जा रहा है। दरअसल, कुपोषण मुक्त समाज निर्माण की दिशा में सरकार पूरी तरह सजग और कटिबद्ध है। 


- छः माह के बाद अन्नप्राशन के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी : 

आईसीडीएस की  जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुनीता कुमारी ने बताया, इस दौरान मौजूद बच्चों की माँ को बच्चे के स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियाँ दी गई। जिसमें बताया गया कि बच्चों को छः माह की उम्र सीमा पार करने के बाद अन्नप्राशन (ऊपरी आहार) के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं और छः माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं। तभी बच्चे का स्वस्थ शरीर निर्माण संभव है। इसके अलावा बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6  से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों के  पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया। 


- पौष्टिक आहार की महत्ता की भी दी गई जानकारी : 

आईसीडीएस के जिला समन्वयक अंबुज कुमार ने बताया, शिशु के जन्म के बाद आधे घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता  और रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। 


- एनीमिया मुक्त भारत अभियान को लेकर को भी किया गया जागरूक : 

पिरामल फाउंडेशन के डीपीएल प्रफूल्ल झा ने बताया, अन्नप्राशन कार्यक्रम के दौरान मौजूद बच्चे की माँ समेत अन्य महिलाओं को एनीमिया मुक्त भारत अभियान को लेकर भी जागरूक किया गया। जिसके दौरान एनीमिया से बचाव के लिए एनीमिया के कारण, लक्षण एवं उपचार की जानकारी दी गई और नियमित तौर पर हीमोग्लोबिन जाँच कराने को लेकर भी जागरूक किया गया। 


 - इन बातों का रखें ख्याल : 

- 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें। 

- स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें।

- शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें।

- मल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

- शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खिलाएं।

रिपोर्टर

  • Dr. Neelam Mahendra
    Dr. Neelam Mahendra

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