फाइलेरिया के चलते लोगों को दिव्यांग होने से बचाने को लगातार प्रयास कर रहे हैं दिव्यांग ब्रजेश कुमार 

 
 
- ट्राईसाइकिल पर सवार हो फाइलेरिया मरीज को ले जाते सरकारी अस्पताल व दिलवाते हैं एमएमडीपी किट सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं 
- आठ भाई- बहनों में तीसरे स्थान पर ब्रजेश कुमार ट्यूशन पढ़ाकर चलाते हैं अपनी आजीविका 
 
खगड़िया, 26 अक्टूबर-
 
फाइलेरिया की वजह से लोगों को दिव्यांग होने से बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं जन्म से ही दिव्यांगता से ग्रसित ब्रजेश कुमार । खगड़िया जिला के गोगरी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत गोगरी पंचायत के इमादपुर गांव के रविंद्र साह और पूनम देवी के पुत्र 27 वर्षीय दिव्यांग ब्रजेश कुमार  फाइलेरिया की वजह से कोई भी व्यक्ति दिव्यांग नहीं हो इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। वो अपनी बैटरी चालित ट्राई साइकिल पर सवार होकर अपने साथ फाइलेरिया रोगियों को अस्पताल ले जाकर एमएमडीपी किट सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 
 
जन्मजात दिव्यांगता से ग्रसित हैं ब्रजेश कुमार : 
ब्रजेश कुमार के पिता रविंद्र साह और मां पूनम देवी ने बताया कि उनका पुत्र ब्रजेश उनके कुल आठ बच्चों में तीसरे स्थान पर है। जो जन्म से शारीरिक रूप से दिव्यांग है। बताया कि बचपन में ही ब्रजेश का कोलकात्ता में इलाज करवाए थे । लेकिन बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो पाया । ब्रजेश ने महेशखूंट स्थित शारदा गिरधारी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी आजीविका चला रहा है। इसके अलावा वो सामाजिक कार्यों में भी काफी बढ चढ़कर हिस्सा लेता है। पिछले छह महीने से ज्यादा समय से ब्रजेश फाइलेरिया रोग से भी ग्रसित हो गया है। स्थानीय आशा कार्यकर्ता प्रीति कुमारी ने  अस्पताल ले जाकर ब्रजेश कुमार को एमएमडीपी किट सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवायी है। 
 
गोगरी पंचायत के इमादपुर गांव में कार्यरत जय हनुमान पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के लीडर हैं ब्रजेश कुमार : 
ब्रजेश कुमार ने बताया कि आशा दीदी जब एमडीए राउंड के दौरान फाइलेरिया की दवा खिलाने आई थी तो मैंने उन्हें अपना पैर दिखलाया। उन्होंने बताया कि मुझे फाइलेरिया है। इसके बाद अपने साथ मुझे अस्पताल ले जाकर इलाज करवाया और साफ- सफाई के लिए एमएमडीपी भी दिलवायी। इसके बाद मैं भी अपने घर और गांव के आसपास फाइलेरिया रोगियों को खोजकर उनका भी अस्पताल ले जाकर इलाज कराने और अन्य सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के कार्य में जुट गया। आज मेरे गांव में जय हनुमान के नाम से एक फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप कार्यरत है। जिससे कुल 8 महिला और 2 पुरुष सहित कुल 10 फाइलेरिया पेशेंट जुड़े हुए हैं। प्रत्येक महीने इस पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की मासिक बैठक आयोजित की जाती है। इस बैठक के बाद यह मालूम होता है कि इस पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के किस सदस्य को अभी कोई तकलीफ हो रही है। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाकर इलाज करवाया जाता है। मेरे पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के अधिकांश लोगों को एमएमडीपी किट मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष बिहार दिवस के दिन खगड़िया में आयोजित कार्यक्रम में मुझे बैटरी चालित ट्राईसाइकिल मिली। इससे पहले प्रखंड कार्यालय पर आयोजित दिव्यंगता मेला में ट्राईसाइकिल मिली थी। 
 
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि जिलाभर के विभिन्न प्रखंडों में फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़े फाइलेरिया रोगियों के द्वारा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने में काफी सराहनीय कार्य किया जा है। फाइलेरिया पेशेंट ब्रजेश कुमार के द्वारा खुद शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए किए जा रहे प्रयास काफी सराहनीय है। इससे अन्य लोगों को प्रेरणा मिलेगी।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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