गर्भवतियों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए राज्य भर में मनाया गया गोद भराई दिवस

•⁠  ⁠बिहार के सभी जिलों में गोद भराई दिवस मना कर दी गई पोषण की जानकारी
•⁠  ⁠राज्य में शिशुओं में बौनेपन की दर में आई है कमी 
•⁠  ⁠महिलाओं में आईएफए अनुपूरण में 4 गुना से अधिक की हुयी है वृद्धि


पटना: 

गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए समेकित बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा हर स्तर पर प्रयास किये जा  रहे हैं. इसे लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भावस्था के प्रथम तिमाही में गर्भवति महिलाओं की पोषण संवर्धन को लेकर गोद भराई दिवस मनाया जाता है.  गोद भराई दिवस के दिन गर्भवती महिलाओं को पोषक तत्व वाले आहार दिए जाते हैं. इस्के सेवन के  प्रति  जानकारी देते हुए गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ के देखभाल के लिये कहा जाता है.  इसे  लेकर बिहार के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर  बुधवार को गोद भराई दिवस मनाया गया. 

कुपोषण मुक्त समाज बनाने की कोशिश: 

समेकित बाल विकास परियोजना विभाग के निदेशक कौशल किशोर ने बताया कि बुधवार को बिहार के सभी आंगनबाड़ी केदो पर विशेष तौर पर गोद भराई दिवस मनाया गया. उन्होंने बताया कि  राज्य के सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने गर्भवती महिलाओं को मातृत्व पोषण के महत्व के बारे में जागरूक कर उन्हें खाद्य विविधता  , आईएफए और कैल्शियम की गोली  सेवन करने और प्रसव पूर्व जांच कराने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि कुपोषण मुक्त भारत बनाने के संकल्प के साथ गर्भवती महिलाओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.  इस दौरान कुपोषण मुक्त समाज की परिकल्पना को  साकार करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ लाभार्थियों ने भी संकल्प लिया. सभी  आंगनबाड़ी केंद्रों पर कर्मियों ने पोषण को समृद्ध समाज के निर्माण के लिए अतिआवश्यक बताया. 
 
राज्य में शिशुओं में बौनेपन की दर में आई है कमी 
राज्य में शिशुओं में बौनेपन की दर में कमी भी आई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 में शून्य से 5 वर्ष तक के 48.3% बच्चे बौनापन से ग्रसित थे, जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में घटकर 42.9% हुआ है. वहीं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार 2.3% गर्भवती महिलाएं ही 180 दिन आईएफए यानी आयरन फोलिक एसिड का अनुपूरण कर पाती थी, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में बढ़कर 9.3% हो गया है. यद्यपि, अभी इसमें और भी सुधार करने की गुंजाईश शेष है.

भोजन की विविधता पर बल:
इस दौरान भोजन  की  विविधता को  बताते हुए आगनबड़ी सेविकओ  ने नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने की जरूरत पर बल दिया.  गर्भवती को बताया गया कि बाल विकास परियोजना द्वारा पोषक तत्वों  के  बारे में जागरूक करने का कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है. आंगनवाड़ी केन्द्रों पर नियमित रूप से बच्चो और गर्भवती महिलाओं को भी पौष्टिक आहार दिया जा रहा है, ताकि शिशुओं को कुपोषित होने से बचाया जा सके.

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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