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टीबी की बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए गांव-गांव में हो रही है मरीजों की खोज
- जिले के विभिन्न प्रखंडों में आंगनबाड़ी केन्द्र से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों पर शिविर लगाकर हो रही जांच
मुंगेर-
केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक पूरे देश से टीबी की बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा गांव-गांव जाकर टीबी के मरीज खोजे जा रहे हैं। जिला के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत आंगनबाड़ी केंद्रों व स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य शिविर लगाकर संभावित रोगियों की जांच की जा रही है। जिला संचारी रोग पदाधिकारी (सीडीओ) डॉक्टर ध्रुव कुमार शाह ने बताया कि जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। टीबी उन्मूलन की दिशा में समुदाय स्तर पर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत ईंट-भट्ठों, झुग्गी- झोपड़ियों, महादलित टोलों, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों सहित अन्य जगहों पर जांच शिविर लगाकर टीबी मरीजों की खोज हो रही है।
टीबी उन्मूलन को जिला में हो रहा जरूरी प्रयास
उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों की पहचान से लेकर निःशुल्क दवा वितरण एवं निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीने में दर्द होना, चक्कर आना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमी और वजन का कम होना आदि लक्षण अगर किसी में है तो टीबी की जांच जरूर कराएं।
जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध-
जिला टीबी/एचआईवी समन्वयक शैलेंदु कुमार ने बताया कि जिला अस्पताल से प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों की जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही दवा भी मुफ्त दी जाती है। स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच माइक्रोस्कोप, टूनेट व सीबीनेट मशीन द्वारा निःशुल्क जांच की जाती है। मरीजों की जांच के उपरांत टीबी की पुष्टि होने पर पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से निःशुल्क किया जाता है। इसके अलावा नये रोगी चिह्नित होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट दी जाती है ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी नहीं फैले। उन्होंने बताया कि टीबी संक्रामक बीमारी है। इसे जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि कि टीबी मरीजों से संबंधित जानकारी को गोपनीय बनाये रखना जरूरी है। उनकी तस्वीर व नाम किसी भी रूप में सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि एचआईवी मरीजों को टीबी का व टीबी मरीजों को एचआईवी का खतरा अधिक होता है। दोनों ही रोग से बचाव के लिये जन जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि होने पर पहले दो महीने तक टीबी की दवा खिलाया जाना जरूरी है। इसके बाद उन्हें एंटी् रेट्रो वायरल थेरेपी सेंटर रेफर किये जाने का प्रावधान है।
टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं वरदान -
पीएचसी बरियारपुर में सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस ) के पद पर कार्यरत विशाल कुमार ने बताया कि टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने एवं बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का अहम योगदान है। अमीर हो या गरीब, हर तरह के रोगियों के लिए सरकार की ओर से निःशुल्क दवा तो मिलती ही है साथ ही साथ पौष्टिक आहार खाने के लिए पैसा भी मिलता है। यह योजना टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसीलिए लोगों को टीबी जैसे संक्रमण से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सरकार की ओर से मरीज़ों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठाकर टीबी जैसी बीमारी से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Swapnil Mhaske